Thursday, February 25, 2010

आप महान पत्रकार भाइयों की सोच की दिशा को प्रणाम करता हूँ । एक पत्रकार अब मुख्तार अंसारी जैसे दुर्दांत माफिया की पैरवी कर रहा है जो अपराध का कारखाना है । भाई शहेब अपराधियों का कोई इमां धर्म नहीं होता है वो आईएसआई क्या ओसामा से हाथ मिला सकता है । आप तीनो लोग मिल कर एक दुर्दांत माफिया को सफेदपोश का नाकौब ओढ़ना चाहते हैं । आईएसआई समर्थित आतंकवाद भारत में इस्लाम का शासन स्थापित करना चाहता है। ठीक वैसे ही जैसे संघ परिवार धर्मनिरपेक्ष भारत को हिंदू राष्ट्र में तब्दील कर देना चाहता है। तो आप लोग यही कहना चाह रहे हैं की भारत में जो भी आतंकवाद चल रहा है वो भी ठीक है तो भारत में इस्लाम का शासन स्थापित कराएँ या हिंदू राष्ट्र में तब्दील करें । और माओवादी ये कहीं से भूखे नंगे लोग नहीं हैं इनकी सोच गलत है । शाहनवाज आलम, राजीव यादव, विजय प्रताप आप तीनो भाइयों को पता होना चाहेये की एक एके ४७ की कीमत लाखों में होती है मान ले एक एके -४७ ५ लाख की भी मिले तो जरा हिसाब लगायेये की ५ लाख में कितने लोगों को रोटी दी जासकती है आज हर एक नक्सली के पास एके ४७ है । तो भाइयों चाटुकारिता छोड़ पत्रकारिता की और देखें .

Friday, February 12, 2010

राजेंद्र यादव

लगता है राजेंद्र यादव जी आप समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता हो गए हैं !अच्छा है एक कहानीकार अब जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त होकर एक पार्टी का बोल बोल रहा है बोलना भी चाहिए उधर मुलायम सिंह यादव आप भी स्वजातीय राजेंद्र यादव ! आप को तो पता है मुलायम पहले जाति की राजनीती करते थे अब परिवार की राजनीती करते हैं तो आप जसे महान लोग उनके सुर में सुर मिलायेंगे तो काफी अच्छा सन्देश जायेगा साथ में परिवार वाद का आरोप भी घटेगा !आप दोनों लोग मिल कर यादवो को संगठित करने में सफल होंगे !'अमिताभ बच्चन का नरेंद्र मोदी के गले मिलना आपके नेता जी को भी ठीक नहीं लग रहा है !लगता है कि समाजवादी पार्टी ने 'अमिताभ बच्चन को गिरवी रख लिया था ! कि वो और कही भी जाये तो नेताजी से पूछकर यही कहते हैं आप !भैया लोकतंत्र है सबको अधिकार है कही भी जाकर अपना काम कर सकता है ! राजेंद्र जी आप तो राज ठाकरे कि भासा बोल रहे हैं ! राजनीती में नरेन्द्र मोदी जैसा वर्त्तमान में कोई एक मुख्यमंत्री का नाम बतईये जो गुजरात की तरह विकास किया हो ! आप जसे लोग भी अगर लकीर पर लाठी पिटे तो भैया भगवान ही मालिक है ! कि इस देश के बुधिजीविओं का आकलन भी जातिवादी और पार्टी से प्रेरित हो तो आम लोगों कि सोच क्या होगी ?

Friday, February 5, 2010

गीदड़ चूहा और शेर

कहते हैं कि जब गीदड़ कि मौत आती है तो वो शहर की ओर भागता है! कुछ एसा ही महारास्ट्र में देखने को मिल रहा है वहां भी एक गीदड़ अपने को रंग में रंग कर जंगल का राजा कहता है लकिन अब उसकी असलियत सबके सामने आ चुकी है और आश्चय कि बात ये है कि गीदड़ ने एक चूहे को भी जन्म दिया है जो यदा कदा बिल से बहर निकल कर लोगो के कपडे कुतरता है ! आज बिचारो का पल्ला असली शेर से पड़ गया गीदड़ ने कहा भाई मैं तो कुत्ता हूँ गीदड़ नहीं जब शेर पास पंहुचा तो बेचारा अपने घर क पास बैठ ऊऊऊऊऊऊ कर रहा था और पूछ दबाकर जीभ लपलपाने लग गया ! शेर तो भाई शेर गीदड़ को देख मुस्कराया और चल दिया ! चूहा महोदय तो रात को निकलते हैं और अपने जाती वालों के बीच में अपने वीरता कि गाथा गाते हैं ! लकिन जिस इलाके से शेर गुजरा बचाव कि बिल भी धंस गयी बेचारे बेघर होने क कगार पर हैं !

Monday, January 25, 2010

आज के बदलते सामाजिक परिदृश्य में , बदलते सामाजिक मूल्य एवं मर्यादाओं के बीच जीवन के सामजस्य का ताना बना का आधार सिर्फ एक सकारातमक सोच और नयी आशायें हैं